Saturday, 22 October 2016

तुझको चलना होगा... तुझको चलना होगा...



मैं जब भी यहाँ आता हूँ... यहाँ पर घंटों बैठा रहता हूँ, और देखता रहता हूँ इस नदी के बहते हुवे पानी को... यह चौड़ा पहाड़ और दो किनारे जो हमेशा एक दूसरे से उतनी ही दूर
... यह मांझी... यह कश्ती... और यह लहरों पे लहराता हुवा नाचता हुवा गीत...
मैं जब भी इस गीत को सुनता हूँ ... तो मुझे ऐसे लगता है जैसे मेरा इनके साथ एक बहुत पुराना मेल है... जैसे इस धारा के साथ मुझे भी कहीं और जाना है...
कहीं दूर जाना है... जैसे मुझे भी किसी नाव का इंतेज़ार है... किसी माझी की ज़रूरत होती है |


AI is not helping you think - it’s just helping you avoid it

It began as a marvel. Artificial Intelligence was going to make life easier, help us think smarter, automate the dull bits, and amplify the ...